जननायक, प्रणायक ,सुखदायक जननेता,
ओजपूर्ण, तेजस्वी, नवभारत प्रणेता,
राजनीति के दलदल में,
एक वो ही कमल रहे ।
अटल थे वे, अटल रहे ।।
था विश्व अचंभित , पाक आतंकित,
अमरीका में हाहाकार मचा था ।
परमाणु परिक्षण से तुमने,
एक नया इतिहास रचा था ।
इस नामुमकिन कार्य में,
एक वो ही सफल रहे ।
अटल थे वे, अटल रहे ।।
दिल्ली -मुंबई-कोलकाता-चेन्नई,
राजमार्ग से सभी जुड़ गयी ।
ग्रामीण सड़क योजना संग,
गाँव -गाँव छायी तरंग ।
अपनी कथनी और करनी में,
एक वो ही अचल रहे ।
अटल थे वे, अटल रहे ।।
निन्यानवे की कारगिल लड़ाई,
पाक की थी सेना घुस आयी ।
दरबार दिल्ली मूक ना थी,
सुरक्षा में हुई चूक ना थी ।
संग जवानों के तब,
खड़े वे प्रतिपल रहे ।
अटल थे वे, अटल रहे ।।
और कितनी उपलब्धियां गिनाऊँ?
टेलीकॉम क्रान्ति याद दिलाऊं ?
जी.डी.पी., निजीकरण को बढ़ावा,
सर्वशिक्षा अभियान चलाया ।
आदर्श ना बदले अपने पर,
बदलते ये धरातल रहे ।
अटल थे वे , अटल रहे ।।
कवि ह्रदय , फौलादी तन,
भयहीन, स्थिर मन ।
रहे शत्रुओं से आज़ाद,
ना अवसाद ना अपवाद ।
यूँ तो नहीं विदाई पर उनकी,
जन-जन के नैन सजल रहे ।
अटल थे वे, अटल रहे ।।
-अनु नेवटिया
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